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दो बार मैट्रिक में हुए फेल संघर्ष के दिनों में किया वेटर का काम आज भोजपुरी हिंदी और साउथ के फिल्मों में बजता है डंका

अनूप नारायण सिंह
आज एक ऐसे कलाकार की कहानी बताने जा रहे हैं जिस के संघर्ष की कहानी सुनकर आप के भी रोंगटे खड़े हो जाएंगे इस कलाकार ने स्कूल के दिनों में अभिनय से ऐसा इश्क किया कि मैट्रिक की परीक्षा में दो बार लगातार फेल हुए फिर भी हार नहीं मानी अभिनेता बनने मुंबई पहुंचे तो दर-दर की ठोकरें खाई संघर्ष के दिनों में वेटर का काम किया पर संघर्ष काम आया और आज की तारीख में यह कलाकार भोजपुरी हिंदी और साउथ के फिल्मों का एक बड़ा जाना पहचाना नाम है।भोजपुरी सिनेमा में ‘बतासा चाचा’ के नाम से मशहूर मनोज सिंह टाइगर अभिनय को ही अपना करियर बनाना चाहते थे। इसलिए पढ़ाई में मन नहीं लगता था। यही कारण रहा कि 10वीं में वे 2 बार फेल हो गए। एक्टिंग की इच्छा पूरी करने को लेकर उन्होंने साल 1996 में मुंबई की राह पकड़ ली। सपनों की नगरी आ गए लेकिन कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा था कि कहां से शुरुआत की जाए। वरिष्ठ फिल्म पत्रकार अनूप नारायण सिंह से बातचीत में मनोज सिंह टाइगर ने कहा कि मुंबई में वह एक पत्रिका में ऑफिस बॉय की नौकरी कर ली। सालों तक यही काम करते रहे। अभिनय करने का शौक बरकरार रहा और इन्हीं दिनों वह शशि कपूर के पृथ्वी थिएटर में भी नाटक करने लगे।मनोज टाइगर ने बताया कि वह दिन में पृथ्वी थिएटर में नाटक किया करते लेकिन जीविका के लिए वे रात में नौकरी करने की सोची। और काम मांगने एक होटल में पहुंच गए। होटल वाले ने मनोज टाइगर को देखा तो उन्हें ये काम करने से मना कर दिया। कहा, तुम ये काम क्यों करना चाहते हो कुछ और कर लो। तुम वेटर का काम कर लो। ये तुम्हारे लायक नहीं है।मनोज टाइगर ने तब होटल के मालिक से कहा था कि वेटर का काम सुबह में होता है और सुबम में मैं नाटक करता हूं। आगे बताते हैं कि वह हफ्तों तक उस होटल में बर्तन मांजने (धोने) का काम किया। मनोज को इस काम के लिए उन्हें रोज 50 रुपए मिलते थे। बताओ रविंद्र अभिनेता पहला ब्रेक मिला 2005 में निरहुआ के साथ चलत मुसाफिर मोह लिया रे फिर आई निरहुआ रिक्शावाला वर्ष 2006 में जिसने भोजपुरी फिल्म का इतिहास तो बदला ही मनोज सिंह टाइगर को भी स्थापित कर दिया मनोज ने बताया कि वह अनुराग कश्यप के साथ भी कई फिल्में कर रहे हैं।गौरतलब है कि मनोज सिंह टाइगर ने साल 2005 में दिनेश लाल यादव की फिल्म चलत मुसाफिर मोह... से करियर की शुरुआत की। मनोज सिंह ना सिर्फ एक अच्छे अभिनेता हैं बल्कि एक अच्छे स्क्रिप्ट राइटर और नाटककार भी हैं। 14 साल के भोजपुरी सिनेमा के करियर में मनोज सिंह को 20 से अधिक बार कॉमेडियन ऑफ द ईयर का अवॉर्ड मिल चुका है। उनकी लेखनी के लिए साल 2018 में सर्वश्रेष्ठ स्टोरी राइटर का अवॉर्ड भी हासिल हुआ। भोजपुरी के सबसे प्रतिष्ठित अवार्ड विनोद गुप्ता द्वारा स्थापित भोजपुरी फिल्म अवार्ड में वर्ष 2023 में मनोज टाइगर की फिल्म लागल रहा बताशा को सर्वश्रेष्ठ भोजपुरी फिल्म का अवॉर्ड मिला साथ ही इस फिल्म के लिए सर्वश्रेष्ठ लेखक का पुरस्कार मनोज सिंह टाइगर को मिला है साउथ के कई बड़े बजट की यादगार फिल्में रिलीज पर है। टाइगर कहते हैं कि आज साउथ में उनके पास बहुत काम है हिंदी फिल्मों में भी उन्होंने काम किया है कई सारे ऑफर है पर आत्मा आज भी भोजपुरी में ही बसती है। वे चाहते हैं कि भोजपुरी को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किया जाए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में भी भोजपुरी फिल्में जाए तथा भोजपुरी के कलाकारों को भी उचित मान-सम्मान मिले एक बड़ा विस्तृत दर्शक वर्ग होने के बावजूद भोजपुरी के बदहाली के लिए भोजपुरी के तमाम चाहने वाले लोगों को भी कटघरे में खड़ा करते हैं कहते है कि जब तक लोग अपने कलाकारों अपनी फिल्मों में लोक संस्कृति से प्यार नहीं करेंगे तब तक भोजपुरी का उत्थान नहीं होगा। फिलहाल मनोज सिंह टाइगर की हसीन दिलरूबा पार्ट 2 तथा हिंदी में एक बड़े बजट की फिल्म दशमी रिलीज को तैयार असीमा जो साउथ की एक बड़े बजट की फिल्म है उसका ट्रेलर भी रिलीज हो चुका है।

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