व्रत के प्रसाद में सबसें विशेष महत्व है गुड़ के खीर का. इस चावल और गुड़ के खीर को खरना का महाप्रसाद कहते है. गुड़ के खीर के साथ व्रती रोटी और केला का भोग अपने कुलदेवता और छठी माई को लगाती है.माटी के चूल्हे में पकने के कारण प्रसाद में माटी का सोनापन भोग को और विशिष्ट बना देता है.
संध्या के वक्त देवता को खीर, रोटी और पान- फल- फूल से भोग लगाकर व्रती आज पूरे दिन का निर्जल उपवास प्रसाद को ख़ाकर तोड़ती है. इस प्रसाद को ग्रहण करने के बाद व्रती 36 घंटे के निर्जल व्रत में चली जाती है. खरना के प्रसाद के बाद व्रती सीधा परसो व्रत तोड़ेंगी. आज संध्या से पुनः उनका निर्जल उपवास शुरू होगा, इसी उपवास में कल छठ महापर्व का सबसे विशिष्ट दिन संझिया अरग होगा. व्रती कल डूबते हुए सूर्य को डाला- सूप से अरग देंगी.
संझिया अरग के दिन बांस के डाला- सूप में विभिन्न फलों के साथ ठेकुआ का विशेष महत्व होता है. संझिया अरग के बाद परसो उगते हुये सूर्य को अर्ध्य देने के साथ इस महापर्व कि समाप्ति होगी. आज खरना के इस विशेष दिन को हम आप सभी के सुख- समृद्धि की कामना करते है.