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आज है अक्षय नवमी पर आँवले वृक्ष की पूजा से मिलेगा लाभ

पंकज झा शास्त्री 

  अक्षय नवमी को पुण्य फलों की प्राप्ति और स्वास्थ्य की शुभता हेतु अत्यंत महत्वपूर्ण दिन माना जाता है. अपने काम के अनुरुप यह कभी न क्षय होने वाले फल प्रदान करती है. अक्षय नवमी तिथि का संयोग कई मामलों में महत्वपूर्ण होता है. इस दिन को प्रमुख हिंदू पर्वों में से माना गया है जो जीवन में नई चेतना और उसके विकसित होने की संभावनाओं का विकास भी होता है. एक पारंपरिक हिंदू कैलेंडर में 'कार्तिक' के महीने के दौरान 'शुक्ल पक्ष' के 'नवमी तिथि' नवम दिन पर इस पर्व को मनाया जाता है.
अक्षय नवमी को देश के विभिन्न हिस्सों में 'आंवला नवमी' के रूप में भी मनाया जाता है. इस दिन, आमला के पेड़ की पूजा की जाती है क्योंकि इसे सभी देवी-देवताओं का निवास माना जाता है.
अक्षय नवमी के दिन, भक्त सूर्योदय के समय जल्दी उठकर गंगा और अन्य पवित्र नदियों में स्नान करना शुभ माना जाता है.मधुबनी स्टेशन चौक स्थित हनुमान प्रेम मंदिर के पुजारी पंडित पंकज झा शास्त्री ने बताया यह स्नान शरीर को मजबूत बनाता है तथा इंद्रियों पर नियंत्रण देता है. 
स्नान के बाद, नदी के तट पर पूजा और अनुष्ठान किए जाते हैं. इन अनुष्ठानों द्वारा वातावरण की शुद्धि होती है तथा मानसिक सबलता प्राप्त होती है.  
पूजा पर हल्दी का उपयोग करके 30 वर्ग बनाए जाते हैं. इन वर्गों को 'कोष्ठ' के रूप में जाना जाता है और फिर इन्हें दालों, अनाज और खाद्य पदार्थों से भरा होता है.
वैदिक मंत्रों से पूजा की जाती है, नवमी पर यह विशेष अनुष्ठान एक समृद्ध फसल और खाद्यान्न की वृद्धि तथा भंडारण के फलों को दर्शाता है जो जीव की क्षुधा शांति का महत्व देता है.
अक्षय नवमी पर उपवास रखा जाता है. कुछ क्षेत्रों में, लोग इस दिन 'आंवला' के पेड़ की पूजा भी करते हैं. अच्छे स्वास्थ्य के लिए इस दिन आंवला फल खाना चाहिए और कुछ फलों का दान भी करना चाहिए.
दान इस दिन की एक बहुत ही महत्वपूर्ण घटना है। ऐसा माना जाता है कि अक्षय नवमी के दिन किया गया कोई भी शुभ कार्य कभी नष्ट नहीं होता है। पंडित पंकज झा शास्त्री के अनुसार इस दिन गुप्त दान करना भी बहुत महत्व रखता है। किसी भी पात्र व्यक्ति को अपनी आर्थिक स्थिति के अनुसार यथासंभव दान करना चाहिए.अक्षय नवमी का दिन हिंदुओं के लिए बहुत महत्वपूर्ण है और देश भर में बहुत उत्साह के साथ मनाया जाता है. अक्षय नवमी पर श्रद्धा और भक्ति के साथ प्रार्थना करना अत्यधिक फलदायी माना जाता है. इस दिन की जाने वाली प्रार्थना सभी इच्छाओं की पूर्ति प्रदान करती है और अंततः व्यक्ति को 'मोक्ष' या मुक्ति के मार्ग पर ले जाती है. इस दिन धर्मार्थ गतिविधियों को करने से व्यक्ति को आने वाले जन्मों के लिए लाभ मिलता है.
कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि से लेकर कार्तिक पूर्णिमा तक भगवान विष्णु का आंवले के पेड़ वास होता है. यही वजह है कि अक्षय नवमी के दिन विधि-विधान से आंवला के पेड़ की पूजा की जाती है. साथ ही पेड़ की छाया में बैठकर खाना खाया जाता है. कहते हैं ऐसा करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और भक्त की मनोकामना पूरी करते हैं. कई भक्त इस दिन व्रत रखते हैं. मान्यता है कि अगर कोई महिला संतान प्राप्ति के लिए यह व्रत रखती है, तो उसकी इच्छा भगवान जरूर पूरी करते हैं. इसके अलावा अक्षय नवमी की तिथि के दो दिन बाद ही सृष्टि के पालनहार श्रीहरि योगनिद्रा से जागते हैं. जिसके चलते इसका महत्व बढ़ जाता है. अक्षय नवमी के दिन आँवले वृक्ष के निचे दीपक जलाकर श्रद्धा अनुसार पूजा उपरांत कनक धारा स्त्रोत्र का पाठ करने से धन से सम्बन्धित समस्याएं कुछ हद तक दूर होना संभव है। इस बार अक्षय नवमी दिनांक 21 नवम्बर मंगलवार को मनाई जायेगी।

नवमी तिथि आरम्भ 20 नवम्बर रात्रि 03:28 उपरांत।
नवमी तिथि समापन 21 नवम्बर रात्रि 01:06 बजे

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