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राजवंशी महासम्मेलन में राजवंशी समाज को आदिवासी का दर्जा देने की मांग

संवाद 
कटिहार जिले के सलमारी में बठौरा हनुमान मंदिर के प्रांगण में बीते रविवार को राजवंशी कल्याण परिषद संगठन से जुड़े लोगों द्वारा एक राजवंशी महासम्मेलन का आयोजन किया गया। जिसमें मुख्य अतिथि में उत्तर प्रदेश के पूर्व कैबिनेट मंत्री ओम प्रकाश राजभर उपस्थित हुए और साथ ही राजवंशी समाज के कई बड़े नेता अलग-अलग राज्यों और क्षेत्र से आकर भाग लिया। 

कार्यक्रम के प्रभारी राकेश कुमार सिंह और संयोजक संजय सिंह,सुरज सिंह जैसे नेताओं ने भीड़ को संबोधित किया। कार्यक्रम में राजवंशी कल्याण परिषद के बिहार प्रदेश अध्यक्ष अजय सिंह बौसन और राकेश कुमार सिंह ने बताया कि हमारे राजवंशी परिवार का कोई सुनने वाला नहीं है। इसलिए आने वाले समय में चुनाव के वक्त सब मिलकर निर्णय लेंगे। हमारे राजवंशी परिवार एक मजदूर की गिनती में लिया जाता है जबकि इस समाज का इतिहास काफी पुराना है।

पूर्व कैबिनेट मंत्री ओमप्रकाश राजभर ने कहा कि बिहार के सीमांचल क्षेत्र में काफी संख्या में राजवंशी समाज के लोग रहते हैं जो काफी पिछले हुए हैं। राज्य सरकार भी इस पर कोई ध्यान नहीं देती है ताकि इसका उत्थान हो सके इसीलिए आने वाले समय में राजवंशी समाज अपने हित के निर्णय खुद लेने के लिए तैयार है। हमें और लोगों को जगाना है और उन्हें अपने अधिकार के प्रति जागरूक करना है।

राजवंशी कल्याण परिषद के नेता व बलरामपुर विधानसभा के पूर्व विधायक प्रत्याशी जगन्नाथ दास ने बताया कि बिहार के कोसी सीमांचल कटिहार, पूर्णियाँ, अररिया, किशनगंज, पूर्वी चंपारण जैसे कई जिलों के निवासी राजवंशी समुदाय आदिम आदिवासी हैं, जो सामाजिक, आर्थिक, शैक्षनिक, सांस्कृतिक एवं नैतिक दृष्टिकोण से अत्यन्त पिछड़े हैं। बिहार के पड़ोसी राज्य पश्चिम बंगाल में राजवंशी समुदाय के लोगों को अनुसूचित जन जाति (ST) का लाभ दिया जा रहा है। लेकिन बिहार राज्य में आज भी राजवंशी (देसिया, पालिया एवं कोच), राजवार, राजभट, राजभोग, राजभर आदि उपेक्षित है। आजतक बिहार और भारत सरकार से आरक्षण का मांग नहीं रखा गया। जबकी प० बंगाल की तरह असम में भी अनुसूचित जन जाति की तरह आरक्षण का लाभ प्राप्त है। केवल बिहार में हीं हमें आरक्षण से वंचित रखा गया है। इसलिए राजवंशी समुदाय ने राजवंशी कल्याण परिषद् के द्वारा बिहार सरकार को ज्ञापन सौंपा जा रहा है। ताकि अन्य राज्यों की तरह बिहार में भी राजवंशी समाज को लाभ मिल सके। इसके लिए सभी राजवंशी समुदाय के लोगों को एकजुट एवं जागृत होना अति आवश्यक है । इसके लिए राजवंशी सम्मेलन का आयोजन किया गया है।

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