शिक्षकों की भर्ती को लेकर नीतीश सरकार वाहवाही करने में लगी हुई है. वहीं, इस मुद्दे पर जन सुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) ने शनिवार को सीएम नीतीश कुमार (Nitish Kumar) और तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) पर आक्रमण बोला. उन्होंने बोला कि जो सिस्टम है, जिसे आप तंत्र बोलते हैं, सरकारी नौकरियों में पूरे बिहार के 1.57 प्रतिशत लोग ही हैं. चपरासी से लेकर चीफ सेक्रेटरी तक को भी अगर आप जोड़ देंगे, तो 2 प्रतिशत से भी कम लोग सरकारी नौकरियों में हैं. पूरी जो व्यवस्था है, वो सिर्फ 2 प्रतिशत सरकारी नौकरी करने वाले लोगों के कारण से नहीं है. परेशानी ये है कि जो जनप्रतिनिधि हैं, लोकतंत्र में मालिक वो हैं, जो अफसरों को चुनकर बैठाते हैं. अफसर वैसे ही कार्य करता है, जैसा लोग कराना चाहते हैं.दरभंगा के जाले प्रखंड के कमतौल गांव में पत्रकारों से बातचीत में प्रशांत किशोर ने आगे बोला कि यही नीतीश कुमार हैं, 2005 से 2010 में यही तंत्र था, यही अफसर थे और इन्हीं के कारण से कई क्षेत्रों में सुधार दिखा.
अब वो सुधार नहीं दिख रहा है. बदहाली दिख रही है.
ऐसा इसलिए हो रहा है कि क्योंकि नीतीश कुमार की अपनी प्राथमिकता बदल गई है. पहले वो बिहार को सुधारने में लगे थे और अब वह कुर्सी बचाने में लगे हुए हैं, तो अफसर क्या करेंगे.
बता दें कि महागठबंधन की सरकार बनते ही नौकरी के मुद्दे सियासत शुरू हो गई थी. चुनाव से पहले ही तेजस्वी यादव ने 10 लाख रोजगार देने की बात बोली थी. इस बात को लेकर महागठबंधन सरकार को विपक्ष को घेरने लगा. इस बीच सीएम नीतीश कुमार ने 20 लाख नौकरी देने की घोषणा कर दी. वहीं, इस वर्ष बीपीएससी द्वारा लाखों की संख्या में शिक्षकों की बहाली की जा रही है. इस बहाली को लेकर सरकार अपनी पीठ थपथपा रही है. इसको लेकर बिहार की सियासत गरमाई हुई है. सरकार और विपक्ष के बीच खूब जमकर आरोप-प्रत्यारोप लग रहे हैं.