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'अकलोल-बकलोल-ढकलोल संतान को सियासत में थोपना वंशवाद', आनंद मोहन ने किस पर साधा निशाना?


संवाद 


पृथ्वीराज चौहान और चंद्रवरदाई की आदमकद प्रतिमा अनावरण समारोह में गुरुवार (18 जनवरी) को औरंगाबाद आए पूर्व सांसद आनंद मोहन सिंह (Anand Mohan Singh) ने परिवारवाद एवं वंशवाद पर कड़ा प्रहार कर सत्ता में बैठे ऐसे नेताओं पर निशाना साधा. उन्होंने बोला कि वंशवाद में लोग अपने अकलोल, बकलोल, ढकलोल संतानों को पैसा एवं पावर की बदौलत सत्ता पर थोप देते हैं, मगर संघर्षवाद की उपज अपना पथ स्वयं गढ़ लेता है और समाज में एक आदर्श प्रस्तुत करता है.आनंद मोहन ने राणा सांगा, उदय सिंह, महाराणा प्रताप एवं अमर सिंह की कुर्बानियों को याद किया और बताया कि इन महानायकों ने संघर्षवाद को परिभाषित किया एवं अपने प्राणों की आहुति देकर समाज को न सिर्फ रास्ता दिखाया बल्कि संघर्ष करने वाले लोगों को प्रेरणा दी. 

उन्होंने अपने समाज को खुद की ताकत और अपने सामर्थ्य से कुछ कर गुजरने का मार्ग प्रशस्त किया.

 प्रोग्राम को संबोधित करते हुए पूर्व सांसद आनंद मोहन ने अपने संबोधन के माध्यम से अपने खुद के संघर्षों को याद किया. बोला कि उनके दादा और पिता ने अंग्रेजों से लड़ाइयां लड़ी. संघर्ष किया. इसका अनुसरण उन्होंने किया और उनके जेल जाने के बाद उनके बेटे चेतन आनंद ने भी अपनी विरासत को बचाया.आनंद मोहन ने प्रोग्राम में आए लोगों से बोला कि जानते हैं ताली कौन लोग बजाता है, इसलिए मर्द बनकर लड़ाई लड़ें. पूर्व सांसद ने बिहार की सियासत में बिहार विभूति स्व. अनुग्रह नारायण सिंह, सत्येंद्र नारायण सिंह और निखिल कुमार के संघर्षों को भी याद किया. उन्होंने बोला कि हमें अपने महापुरुषों से प्रेरणा लेने की आवश्यकता है. वर्तमान सियासत में चल रहे विवादों पर उन्होंने बोला कि सियासत में मतभिन्नता हो मगर मनभिन्नता का स्थान नहीं होना चाहिए.

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