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केके पाठक के कार्य को नए शिक्षा मंत्री ने सराहा, आलोक मेहता ने बोला- 'दवाई तो कड़वी होती है...'


संवाद 


बिहार के शिक्षा विभाग में बीते दिनों बड़ा उलटफेर हुआ है. 8 जनवरी से शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक (KK Pathak) छुट्टी पर गए. 14 जनवरी तक उनकी छुट्टी थी, लेकिन वह बढ़ा दी गई. जिक्र होने लगी कि केके पाठक ने त्यागपत्र दे दिया है. सभी अटकलों के बीच 11 दिन बाद 19 जनवरी को केके पाठक ने शिक्षा विभाग की कमान संभाल ली तो ठीक उसके दूसरे दिन ही शिक्षा विभाग के मंत्री को भी बदल दिया गया. चंद्रशेखर को हटाकर आलोक मेहता को शिक्षा मंत्री बनाया गया. सोमवार (22 जनवरी) को पद संभालते ही मंत्री आलोक मेहता (Alok Mehta) ने केके पाठक के कामों को खूब सराहा.आलोक मेहता ने बोला कि जो काम हो रहे हैं वह बहुत अच्छे हैं. दवाई तो कड़वी होती है, लेकिन बीमारी भी वही ठीक करती है. शिक्षा मंत्री बनने के बाद दूसरे दिन सोमवार को आलोक मेहता ने शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक सहित विभाग के कई अधिकारियों के साथ करीब एक घंटे तक बैठक की. 

इस बैठक में सबसे मुख्य बात यह रही कि आलोक मेहता के साथ खुद केके पाठक दिखे.

 इससे पहले शिक्षा मंत्री प्रो. चंद्रशेखर और केके पाठक की पिक्चर शायद ही दिखी हो.बैठक के बाद शिक्षा मंत्री ने बोला कि हम लोग आगे कैसे कार्य करेंगे, शिक्षा में कैसे सुधार हो, जो शिक्षक चयनित होकर आए हैं वह कैसे ठीक ढंग से कार्य करें, इन सभी बिंदुओं को लेकर बैठक की गई है. आलोक मेहता ने केके पाठक की प्रशंसा करते हुए बिहार के लोगों को बोला, "बतौर शिक्षा मंत्री मैं बिहार के छात्र-छात्राओं को और उनके अभिभावकों को बोलना चाहूंगा कि शिक्षा विभाग का मुख्य उद्देश्य है बच्चों को शिक्षा देना, बच्चों को गुणवत्तापूर्ण उत्कृष्ट शिक्षा से सुसज्जित करना ताकि वह अपना भविष्य संवार सकें."आलोक मेहता ने बताया कि इस काम में कुछ कड़े कदम उठाए गए, कुछ बात है जो वह मानते हैं कि दवा की तरह है, जो कुछ देर के लिए कड़वी लगती है लेकिन बीमारी ठीक कर देती है. उसको सकारात्मक रूप में ले और बिहार के लोग बहुत हद तक इस बात को समझ रहे हैं. पहले की व्यवस्था और अभी की व्यवस्था में कितना बदलाव है. आज बच्चे स्कूल आ रहे हैं. अभिभावक भी संतुष्ट हैं.

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