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केके पाठक साहब बेंच-डेस्क खरीद में 'महाघोटाला'! किसके संरक्षण में खुलेआम लूट रहे सप्लायर?

संवाद 
पटना: बिहार की शिक्षा व्यवस्था में सुधार के लिए अपर मुख्य सचिव केके पाठक जितने उपाय कर रहे हैं, उन पर पानी फेरने वालों की भी कमी नहीं हैं। केके पाठक ने बिहार के विभिन्न हिस्सों में अपने दौरे के क्रम में पाया कि कई स्कूलों में बच्चे आज भी जमीन पर बैठ कर पढ़ रहे हैं। कहीं चहारदीवारी नहीं है तो कुछ जगहों पर शौचालय की स्थिति ठीक नहीं है। उन्होंने स्कूलों का आधारभूत ढांचा ठीक करना जरूरी समझा और इसके लिए निर्देश भी दिए। इसी क्रम में अपर मुख्य सचिव ने सभी स्कूलों में बेंच-डेस्क की व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए अधिकारियों को सख्त हिदायत दी। शिक्षकों की मानें, तो इसमें काफी घपला चल रहा है। शिक्षकों ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि बैग वितरण, किताब वितरण और किट वितरण में भी बड़ा घोटाला है। किसी भी स्कूल में पता कर लीजिए। सभी बच्चों को सामग्री नहीं मिली है। इतना ही नहीं कहीं-कहीं सप्लाई कम की गई है और शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने सामग्री को बच्चों को देने से मना किया है।

पाठक के प्रयासों पर फिरा पानी
केके पाठक के प्रयासों पर कैसे पानी फिर रहा है, इसके कुछ ज्वलंत उदाहरण भी हैं। जमुई जिले के एक स्कूल में 2100 रुपए की लागत वाले बेंच-डेस्क की खरीद 2900 रुपए में की गई। बेंच-डेस्क स्कूल में पहुंच भी गए, लेकिन स्कूल भवन न होने के कारण उसे रखने का संकट खड़ा हो गया। कई ऐसे स्कूलों में बेंच-डेस्क पहुंचे, जिनके भवन ही नहीं हैं। जिन स्कूलों में भवन हैं भी वहां के बच्चे भी जमीन पर पढ़ने को मजबूर हैं। इसलिए बच्चों के बैठते ही बेंच टूटने लगे। कब बेंच टूट जाए और बच्चे जमीन पर धड़ाम हो जाएं, यह अनुमान लगाना मुश्किल है। इसलिए बच्चों ने बेंच के बजाय जमीन पर बैठ कर ही पढ़ना मुनासिब समझा। शिक्षकों के सामने भी इसका कोई समाधान नहीं। शिक्षकों ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि केके पाठक में हिम्मत हो तो जिला शिक्षा पदाधिकारी के कार्यालय की तरफ से होने वाली हर सप्लाई की जांच करें, उन्हें बड़ा घोटाला पता चलेगा। बेंच-डेस्क तो मात्र नमूना है। शिक्षा विभाग की ओर से होने वाले सभी सामग्री सप्लाई में बड़ा खेल चल रहा है। थाली, बैग और बेंच-डेस्क सप्लाई में महाघोटाला है।

पटना में घटिया बेंच सप्लाई
ज्यादातर स्कूलों ने घटिया बेंच-डेस्क सप्लाई पर मौन साधना ही मुनासिब समझा है। यह भी संभव है कि सप्लाई करने वाली एजेंसी ने उनके मुंह भी बंद करा दिए हों। लेकिन पटना में ताजा मामला उजागर हो गया है। पटना के चिरैयाटांड़ स्थित राजकीय कृत उच्च माध्यमिक विद्यालय में घटिया बेंच सप्लाई की शिकायत जिला शिक्षा पदाधिकारी को मिली थी। उन्होंने शनिवार को इस मामले की जांच की तो शिकायत सही पाई गई। उसके बाद जिला शिक्षा पदाधिकारी ने बेंच सप्लाई करने वाली एजेंसी को काली सूची में डाल दिया।

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घटिया बेंच की शिकायत
स्कूल के हेडमास्टर ने खराब क्वालिटी के बेंच सप्लाई की शिकायत जिला शिक्षा पदाधिकारी से की थी। उन्होंने जिला शिक्षा कार्यालय को पत्र लिख कर बताया कि सप्लाई देने वाली एजेंसी ज्ञान टेक्नोलॉजिकल सिस्टम प्राइवेट लिमिटेड ने लकड़ी की कुन्नी से बने 50 जोड़े बेंच-डेस्क स्कूल को दिए हैं। खराब क्वालिटी के कारण सप्लाई के कुछ ही दिनों के अंदर बेंच टूटने लगे हैं। उन्होंने यह बात अपनी शिकायत में लिखी की एजेंसी ने एजेंसी ने उनसे ढाई लाख रुपये के बिल पर हस्ताक्षर भी करा लिए हैं। शिकायत मिलने के बाद जिला शिक्षा पदाधिकारी अभियंता और जिला कार्यक्रम पदाधिकारी के साथ स्कूल पहुंचे। जांच के क्रम में उन्होंने शिकायत सही पाया। जिला शिक्षा पदाधिकारी के मुताबिक बेंच सप्लाई करने वाली एजेंसी को ब्लैक लिस्टेड कर दिया गया है। उन्होंने उसके बिल के भुगतान पर रोक लगा दी है। इसके साथ ही शिक्षा विभाग ने एजेंसी द्वारा जिन स्कूलों में बेंच-डेस्क की सप्लाई की गई है, उसकी जांच की जाएगी। पटना जिले के स्कूलों के लिए 68 हजार बेंच-डेस्क सप्लाई का आर्डर दिया गया है, जिसमें 44 हजार बेंच-डेस्क स्कूलों में पहुंच भी गए हैं। अब जांच के बाद ही बाकी स्कूलों में बेंच-डेस्क की सप्लाई सुनिश्चित की जाएगी।

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