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बिहार में परिजनों को लूट रहे प्राइवेट स्कूल, किताबें-यूनिफार्म की कीमत जानकर उड़ जाएंगे होश

संवाद 
बिहार में निजी स्कूल (Private school) तय नियमों के तहत ही चलेंगे। जान बूझकर पैरेंट्स को परेशान किया तो विभाग बिना देर किए कार्रवाई करेगा। निजी स्कूलों से हो रही मनमानी का साथ मत दीजिए, शिकायत कीजिए। ये अपील शिक्षा अधिकारी ने हर उस पैरेंट्स से की है, जो हाल ही में अपने बच्चों के लिए किताबें, कॉपियां और यूनिफार्म लेने दुकान की तरफ रुख कर रहे हैं। डीईओ ने साफ कहा है कि पैरेंट्स को किसी भी स्थिति में परेशान करने वाले स्कूलों को बख्शा नहीं जाएगा। ऐसे में आप जिला शिक्षा विभाग पहुंचकर शिकायत दर्ज कराइए। मिथिला हिन्दी न्यूज की टीम मुजफ्फरपुर, दरभंगा, मधुबनी, सीतामढ़ी, समस्तीपुर, छपरा, पटना, बेगूसराय, लखीसराय, शेखपुरा, नालंदा, नवादा, अरवल, जहानाबाद, भोजपुर, बक्सर, रोहतास, भभुआ, औरंगाबाद और गया शहर की किताबों और यूनिफार्म की दुकानों के पास पहुंची। खचाखच दुकानों के पास पैरेंट्स लाइन लगाए हुए खड़े थे। कुछ दुकानों के स्टॉल पर खड़े होकर दुकानदारों से विवाद करते भी दिखे। पुरानी और नई किताब में सिर्फ एक चैप्टर बदल जाने से पैरेंट्स को पूरी किताबें ही नई खरीदने का अफसोस साफ दिखाई दे रहा था। ऐसे में मिथिला हिन्दी न्यूज के संस्थापक रोहित कुमार सोनू ने कुछ पैरेंट्स बातचीत की और उनकी परेशानी जानने की कोशिश की।

महंगी हो गई किताबें और यूनिफार्म
नए शैक्षणिक सत्र से महंगाई की मार अभिभावकों पर पड़ रही है। अभिभावकों को कॉपी, किताब, बच्चों की ड्रेस, जूते, स्कूल बैग सहित अन्य बढ़े दाम पर मिल रहे हैं। इस बार कीमत 20 से 25 फीसदी तक बढ़ गई है। उन्हें इसके लिए अतिरिक्त एक बच्चे पर 8 से 12 हजार रुपए तक खर्च करना पड़ रहा है। इस तरह का आर्थिक बोझ पड़ रहा है।
बताई गई दुकानों पर ही मिल रहा सामान
अभिभावकों ने बताया कि ड्रेस भी लगातार महंगी बिक रही हैं। ड्रेस की दुकान पर आए  ने बताया कि बच्चे की ड्रेस, जूते और थर्मस, पानी की बोतल के दाम 25 फीसदी महंगे मिल रहे हैं। स्कूलों की ओर से बताई गई दुकानों पर ही यह सामान मिलता है। इस पर कोई अंकुश नहीं लगाया जा रहा है।
जानिए... पैरेंट्स ने क्या कुछ कहा
महक महलंगे: मेरी बेटी और उसका कजिन एक ही स्कूल में पढ़ते हैं. कजिन उससे एक क्लास ऊपर है, सो मैंने सोचा कि चलो अच्छा है, बेटी के लिए किताबें तो नहीं खरीदनी पड़ेंगी. लेकिन ऐसा कभी नहीं हो पाता। स्कूल में किताबों का कंटेंट तो नहीं बदलता, लेकिन कुछ चेप्टर वगैरह में हेरफेर हो गया है। कुल मिलाकर इस बार भी नई किताबें ही खरीदनी पड़ रही हैं।
विकास सिंह: हर साल स्कूल के अलावा स्पोर्ट्स यूनिफार्म भी खरीदता हूं। भले ही स्पोर्ट्स साल के 48 दिन ही होते हैं। पिछले साल ही यूनिफार्म लाया था, अब स्कूल ने बदलाव कर दिया है और एक विशेष दुकान से ही खरीदारी करने को कहा है। मेरे बच्चे की यूनिफार्म में हर बार हल्का-फुल्का चेंज हो जाता है, और मुझे इसे लेना मजबूरी बन जाता है।
किताबें पहले और अब
●पांचवीं 5000 रुपए 5500 से अब 6000 रुपए तक
●एलकेजी 2500 से 4000 तक अब 2800 से 5000 रुपए
●7वीं से 10वीं 5500 रुपए तक अब 6000 से 7000 रुपए तक
फीस पहले और अब

●एलकेजी 2000 से 2700 रुपए तक
●पहली से पांचवी 3000 से 3800 रुपए तक
●पांचवी से आठवीं 4000 से 5000 रुपए तक

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