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किसी भी ग्रह के दशा काल फल विचार करते समय उसकी अंतर्दशा, प्रयन्तदर्शा, सूक्ष्मान्तर्दशा तथा प्राण दशा आदि पर भी विचार करना आवश्यक होता है - पंकज झा शास्त्री

 राजेश कुमार वर्मा

दरभंगा/मधुबनी, बिहार ( मिथिला हिन्दी न्यूज ) । विंशोतरी महा दशान्ततर्गत जिस ग्रह की दशा हो, उसका फल सम्पूर्ण - दशा - काल मे एक जैसा ही मिले ऐसा नहीं होता! दशा - काल में अन्य ग्रहों की जो अंतर्दशाये आती है, वे भी अपना शुभाशुभ प्रभाव प्रदर्शित करती है!
इसी प्रकार - प्रत्यन्तर, सूक्ष्मान्तर, तथा प्राणदशाये भी अपने प्रभाव को प्रकट करती है, अतः किसी भी ग्रह के दशा काल फल विचार करते समय उसकी अंतर्दशा,प्रयन्तदर्शा, सूक्ष्मान्तर्दशा तथा प्राण दशा आदि पर भी विचार करना आवश्यक होता है! इसके अलावा वर्तमान गोचर - ग्रह स्थिति पर भी ध्यान देना चाहिए, तभी वास्तविक फलित का ज्ञान होना सम्भव है! ज्योतिष शास्त्र मे ग्रहों अन्तर्दशाओं के फल प्रभाव का उल्लेख तो मिलता है, परंतु प्रत्यन्तर्दशाओं का फल अत्यंत सूक्ष्म रूप से पाया जाता है, जिसका कोई विशेष लाभ नहीं होता! सूक्ष्म एवं प्राणदशाओं के फल का उल्लेख तो कहीं मिलता ही नहीं है, अत:इसके सम्बंध मे किसी भी ज्योतिषी को स्व-विवेक के आधार पर ही निर्णय करना चाहिए!

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