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वट सावित्री व्रत को लेकर बाजारों में चहल-पहल जानें शुभ मुहूर्त

वट सावित्री पर्व कल

संवाद
मिथिला हिन्दी न्यूज :-  अखंड सुहाग का पर्व वट सावित्री पर्व कल है। पर्व को लेकर बिहार के दरभंगा, समस्तीपुर, मधुबनी, सुपौल, अररिया, किशनगंज, पूर्णिया, कटिहार, भागलपुर, बांका, सीतामढ़ी, मधुबनी में के बाजारों में सुबह से ही काफी चहल-पहल देखी जा रही हैं। सुहागिन महिलाएं अपने सुखद वैवाहिक जीवन के लिए वट वृक्ष का पूजन करती हैं। माना जाता है कि ज्येष्ठ माह के अमावस्या के दिन सावित्री ने यमराज से अपने पति सत्यवान के प्राण को वापस लाई थी। तभी से इस व्रत को पति की लंबी आयु के लिए रखा जाने लगा।


शुभ मुहूर्त 

पंचागों में 29 मई की दोपहर बाद अमावस्या का आगमन हो रहा है जो 30 जून की अपराह्नन बाद तक है। इसलिए 30 जून की सुबह से दोपहर बाद तक सुहागिन महिलाएं व्रत रखकर पूजा कर सकती हैं। अन्नपूर्णा पंचांग के अनुसार 30 मई की अपराह्न बाद 3.30 बजे तक अमावस्या है। इसी तरह महावीर पंचांग के अनुसार 3.40 बजे, निर्णय सागर के अनुसार 4.59, बद्रीकाशी, मार्तण्ड व श्यामा बाबा के अनुसार 5.00 के अमावस्या है।


वट सावित्री व्रत पूजा सामग्री
वट सावित्री व्रत रखने वाली महिलाएं वट वृक्ष की पूजा करने से पहले सावित्री-सत्यवान की प्रतिमा, लाल कलावा, कच्चा सूता, धूप-अगरबत्ती, मिट्टी का दीपक, घी, फल, रोली मिष्ठान, सवा मीटर कपड़ा, नारियल, पान, अक्षत, सिंदूर सहित अन्य सिंगार के समान मंगा लें.

वट सावित्री व्रत पूजा विधि
इस विधि से करें पूजा
वट सावित्री व्रत रखने वाली महिलाएं स्नान करने के बाद वट वृक्ष के नीचे सावित्री और सत्यवान की मूर्ति रख कर विधि विधान से पूजा करें. इसके बाद वट वृक्ष पर जल चढ़ाएं. साथ ही कच्चे सूते से वट के वृक्ष में सात बार परिक्रमा करते हुए बांध दें. अब महिलाएं सावित्री-सत्यवान के प्रतिमा के सामने रोली, अक्षत, भीगे चने, कलावा, फूल, फल अर्पित करें.


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