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बड़ी खबर : बिहार में 7 जनवरी से शुरू होगा जातीय जनगणना, पहले मकान फिर लोगों की गिनती, जानें कैसे होगा पूरा प्रोसेस

संवाद 
पटना: बिहार में जाति आधारित गणना का काउंटडाउन शुरू हो गया है. अगले साल यानी 7 जनवरी से जाति सह आर्थिक गणना शुरू होगी. केंद्र सरकार के द्वारा मना करने के बाद बिहार सरकार अपने खर्चे पर जातीय जनगणना करा रही है. सरकार का कहना है कि इस जनगणना के बाद सही मायने में मालूम चलेगा कि किस जाति की आबादी कितनी है और किन्हें सही मायने में आरक्षण की जरूरत है. जातीय जनगणना का काम 7 जनवरी से शुरू होगा. जाति सह आर्थिक गणना का काम दो चरणों में पूरा होगा. पहले चरण में मकान की गिनती होगी. दूसरे चरण में मार्च में जाति के साथ आर्थिक गणना होगी. सामान्य प्रशासन विभाग की ओर से इसको लेकर अधिसूचना जारी किया गया है. सरकार के विशेष सचिव मोहम्मद साहैल द्वारा जारी पत्र के मुताबिक राज्य में गणना कार्य के लिए गणना कर्मियों की प्रतिनियुक्ति की गई है.

पहले चरण में मकान की गिनती होगी. इसके लिए गणना कर्मियों को 15 दिन का समय दिया गया है. 21 जनवरी तक मकानों की गिनती कर मकान पर नंबरिंग करने का काम पूरा होगा. जातीय जनगणना के दौरान घरों की गिनती होगी. हर घर का एक नंबर होगा, यही नंबर भविष्य में घरों के स्थाई पते का हिस्सा होगा. घरों की गिनती से ये जानकारी स्पष्ट होगी कि किस इलाके के किस मोहल्ले की किस रोड या गली में कितने मकान हैं और वहां कितनी आबादी है. इसी आधार पर भविष्य में आबादी के अनुसार सरकारी सुविधाओं का प्लान भी बनेगा.

राज्य सरकार के स्तर पर अभी मकानों की कोई नंबरिंग नहीं की गई है. वोटर आईकार्ड में अलग, नगर निगम के होल्डिंग में अलग नंबर है. पंचायत स्तर पर मकानों की कोई नंबरिंग ही नहीं है. अब सरकारी स्तर पर दिया गया नंबर ही सभी मकानों की स्थाई नंबर होगा जो स्थाई पेन मार्कर या लाल रंग से लिखा जाएगा और इसे 2 मीटर की दूरी से पढ़ा जा सकेगा. यदि कोई मकान नंबरिंग में छूट जाता हैं या कोई नया मकान बन जाता है तो उसका नंबर बगल के नंबर के साथ ए, बी, सी, डी आदि या बटा एक, दो, तीन आदि जोड़ कर किया जाएगा.

बता दें कि जाति सह आर्थिक गणना के लिए 15 दिसंबर को बिपार्ड में राज्यस्तरीय ट्रेनिंग होगी. इसमें राज्य के सभी 38 जिलों से 10-10 अधिकारी शामिल होंगे. राज्यस्तरीय प्रशिक्षण पाने वाले अधिकारी अपने-अपने जिले में अधिकारियों और कर्मियों को प्रशिक्षण देंगे. पटना में 204 जातियों की गिनती के लिए 11 कोषांग और 45 चार्ज का गठन किया गया है. डीएम ने सभी को तैयारी जल्द पूरी करने का निर्देश दिया है. पटना जिले में 74.32 लाख लोगों की जातियों को गिनने के लिए 12,696 प्रगणक की सूची तैयार की गई है.

बताते चलें कि आजादी के बाद पहली बार 1951 में जनगणना हुई. तब से अब तक हुई सभी 7 जनगणना में SC और ST का जातिगत डेटा पब्लिश होता है, लेकिन बाकी जातियों का डेटा इस तरह पब्लिश नहीं होता. इस तरह का डेटा नहीं होने के कारण देश की OBC आबादी का ठीक-ठीक अनुमान नहीं लगाया जा सकता है. वीपी सिंह सरकार ने जिस मंडल कमीशन की सिफारिशों को लागू कर पिछड़ों को आरक्षण दिया, उसने भी 1931 की जनगणना को आधार मानकर देश में OBC की आबादी 52% मानी थी. दरअसल देश में हर एक दशक यानि 10 साल में एक बार जनगणना कराई जाती है. इसमें अनुसूचित जाति और जनजाति के लोगों की गिनती होती है, लेकिन पिछड़े और अति पिछड़े वर्ग की गिनती के आंकड़े जारी नहीं किए जाते हैं.

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