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धर्म पर RJD नेताओं के विवादित बयान स्ट्रेटेजी है या मिस्टेक! क्या BJP को इस 'फुल टॉस' से मिलेगा फायदा? समझिए


संवाद 

विपक्षी नेताओं को पता था कि सांप्रदायिक एजेंडे के आधार पर वोटों के ध्रुवीकरण से बीजेपी (BJP) और उसके नेताओं को भगवा ब्रिगेड के मैदान पर खेलने में सहायता मिलेगी. बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर यादव (Chandrashekhar) उनमें से एक हैं जो अक्सर सांप्रदायिक आधार पर वर्णन देते रहते हैं. जनवरी में उन्होंने दावा किया था कि हिंदू महाकाव्य रामचर्तिमानस (Ramachartimanas), मनु स्मृति और साथ ही 'बंच ऑफ थॉट' पुस्तक समाज में नफरत फैलाती है. 7 सितंबर को, उन्होंने नालंदा में एक और विवादास्पद बयान देते हुए दावा किया कि पैगंबर मुहम्मद 'मर्यादा पुरोषोत्तम' थे और भगवान ने उन्हें बुराई को समाप्त करने के लिए धरती पर भेजा था. इन दो बयानों ने बीजेपी को अपने मैदान पर खेलने और मतदाताओं का ध्रुवीकरण करने के लिए हिंदू उग्रवाद का फायदा उठाने का पर्याप्त मौका दिया है. ये सभी चीजें 2024 के महत्वपूर्ण लोकसभा चुनाव से पहले हो रही हैं.बिहार के राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि वे ऐसे मुद्दे दे रहे हैं, जिन पर बीजेपी मतदाताओं का ध्रुवीकरण करने में बहुत अच्छी है. सूत्रों ने यह भी दावा किया है कि ये दोनों बयान जानबूझकर व्यक्तिगत लाभ के लिए दिए गए थे. जब चंद्रशेखर यादव ने रामचरितमानस के खिलाफ टिप्पणी की थी, तब आरजेडी ने उनके विरुद्ध कार्रवाई नहीं की थी. इस बयान का उस समय आरजेडी के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने समर्थन किया था. जगदानंद सिंह ने बुधवार को दावा किया कि माथे पर टीका लगाने वाले लोगों के वजह से देश गुलाम हुआ. उन्होंने आगे बोला कि ये लोग देश को फिर से गुलाम बनाने का प्रयास कर रहे हैं.सिंह ने पटना में अपने कार्यालय में पार्टी कार्यकर्ताओं की एक सभा को संबोधित करते हुए बोला कि धर्म आस्था की चीज़ है और अगर इसे एक सिद्धांत के रूप में लागू किया जाएगा, तो भारत में रहने वाले करोड़ों लोग इसके विपरीत रास्ते पर चले जाएंगे. 

उनसे (बीजेपी-आरएसएस से) पूछो कि भारत को गुलाम किसने बनाया.

 माथे पर टीका लगाने वालों ने भारत को गुलाम बनाया था. वे भारत को एक गुलाम बनाने के लिए फिर से प्रयत्न कर रहे हैं.जगदानंद सिंह के बयान के बाद बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता विजय कुमार सिन्हा जैसे बीजेपी नेताओं ने बोला कि आरजेडी (तेज प्रताप यादव) द्वारा जगदानंद सिंह को अपमानित करने के बावजूद, वह पार्टी के साथ बने रहे. कम से कम उन्हें अपने बेटे सुधाकर सिंह से सीख लेनी चाहिए. वह जो कुछ भी सनातन धर्म के विरुद्ध कह रहे हैं वह उस पार्टी के कारण है, जिसमें वह रह रहे हैं. उनके बेटे ने अपने स्वाभिमान से समझौता नहीं किया है और मंत्रालय छोड़ दिया. वे राजनेताओं का तुष्टिकरण कर रहे हैं और एक विशेष समुदाय के मतदाताओं को प्रेरित कर रहे हैं. राज्य की जनता उन्हें और आरजेडी को देख रही है और चुनाव में सबक सिखा रही है.बीजेपी ओबीसी मोर्चा के राष्ट्रीय महासचिव निखिल आनंद ने बोला कि प्रो. चन्द्रशेखर और जगदानंद सिंह जैसे नेता भगवान कृष्ण या भगवान राम में विश्वास नहीं करते हैं. इसलिए हमें उनसे ज्यादा उम्मीद नहीं है. जगदानंद सिंह अयोध्या के राम मंदिर पर आपत्ति जता रहे हैं और उदयनिधि स्टालिन के बयान का समर्थन कर रहे हैं. वह हिंदू और सनातन धर्म के विरुद्ध जिक्रबाजी कर रहे हैं. उनकी मानसिकता का अंदाजा कोई भी लगा सकता है. ये बयान वह केवल पार्टी के अपने आकाओं को खुश करने के लिए दे रहे हैं.वहीं, जन अधिकार पार्टी के प्रमुख राजेश रंजन ने भी जगदानंद सिंह के बयान की आलोचना की. पप्पू यादव ने बोला कि मैं ऐसी किसी भी चीज़ पर कड़ी आपत्ति जताता हूं, जो किसी समुदाय को ठेस पहुंचाती हो. किसी को अगर इस मुद्दे के बारे में कोई खबर नहीं है, तो उन्हें इस बारे में बात करने से बचना चाहिए. धर्म से संबंधित जो भी बयान दिए गए वह उचित नहीं हैं. दुनिया में कई ऐसे देश हैं, जो किसी भी धर्म को नहीं मानते हैं. वे इस मुद्दे पर पूरी तरह तटस्थ हैं. सिंगापुर बौद्ध बहुसंख्यक देश है और मुस्लिम मात्र 15 प्रतिशत हैं, लेकिन विकास चार्ट पर नजर डालें, तो यह भारत से कहीं अधिक विकसित है. हमारे देश में, 80 प्रतिशत हिंदू हैं और 15 प्रतिशत मुस्लिम हैं और जिस तरह से राजनीतिक दल धर्म पर सियासत करते हैं, भारत एक विकासशीलदेश है और विकास चार्ट में काफी नीचे है. उन्होंने बोला कि बड़े दलों या छोटे दलों के नेताओं को समाज में सांप्रदायिकता फैलाने का कोई हक नहीं है.

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