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'हेमा यादव को ट्रांसफर की गई संपत्ति...', राबड़ी देवी की चर्चा कर ईडी ने किया ये बड़ा दावा


संवाद 


बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार की मुसीबतें कम होने का नाम नहीं ले रही है. सोमवार को जमीन के बदले नौकरी घोटाला मामले में उनसे प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने लगभग 10 घंटे तक पूछताछ की. बिहार के पूर्व मुख्यमंत्रियों लालू यादव और राबड़ी देवी से जुड़े इस मामले पर ईडी ने एक प्रेस रिलीज भी जारी किया है. ईडी ने बोला कि पुलिस हिरासत में एक अन्य दोषी हृदयानंद चौधरी, राबड़ी देवी की गौशाला का पूर्व कर्मचारी है, जिसने एक उम्मीदवार से संपत्ति अर्जित की थी और बाद में उसे हेमा यादव को हस्तांतरित कर दिया था.केंद्रीय एजेंसी ने इस महीने की शुरुआत में दिल्ली की एक अदालत के समक्ष एक आरोप-पत्र दायर किया था जिसमें कुछ अन्य लोगों के अलावा लालू प्रसाद के परिवार के सदस्यों राबड़ी देवी और उनकी बेटियों मीसा भारती और हेमा यादव को दोषी बनाया गया था. आरोप-पत्र में ईडी ने लालू प्रसाद और उनके परिवार के सदस्यों के कथित 'करीबी सहयोगी' अमित कात्याल (49), घोटाले के कथित लाभार्थी और पूर्व 'गौशाला' कर्मचारी हृदयानंद चौधरी तथा दो कंपनी - ए के इन्फोसिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड और ए बी एक्सपोर्ट्स प्रा. लिमिटेड - को उनके साझा निदेशक शारीकुल बारी के माध्यम से नामजद किया गया था.
दिल्ली की अदालत ने पिछले हफ्ते आरोप-पत्र पर संज्ञान लिया और दोषियों को धनशोधन रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) के तहत उनके विरुद्ध मुकदमा प्रारंभ करने के लिए 9 फरवरी को उसके सामने पेश होने के लिए नोटिस जारी किया. कात्याल को ईडी ने पिछले वर्ष नवंबर में 'धनशोधन में लालू प्रसाद और उनके परिवार की जानबूझकर मदद करने' के इल्जाम में गिरफ्तार किया था.

 वह फिलहाल न्यायिक हिरासत के तहत जेल में बंद है.

 सोमवार को ईडी ने मामले की जांच के तहत अपने पटना कार्यालय में 75 वर्षीय लालू प्रसाद से पूछताछ की और उनका बयान दर्ज किया. उनके बेटे और बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को मामले में पूछताछ के लिए मंगलवार को पटना बुलाया गया है.जांच इस इल्जाम से संबंधित है कि लालू प्रसाद ने केंद्र में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग)-1 सरकार में रेल मंत्री के रूप में अपने कार्यकाल में 2004-2009 के क्रम में भारतीय रेलवे में ग्रुप-डी के पदों पर नियुक्ति के लिए भ्रष्टाचार किया था. ईडी ने एक बयान में बोला कि केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की प्राथमिकी और आरोप-पत्र के अनुसार, अभ्यर्थियों को रेलवे में नौकरी के बदले में 'रिश्वत के रूप में भूमि हस्तांतरित करने' के लिए बोला गया था.धनशोधन का मामला सीबीआई की शिकायत पर आधारित है. ईडी ने बोला, ‘‘लालू प्रसाद के परिवार के सदस्यों - राबड़ी देवी, मीसा भारती, हेमा यादव - जिन्हें अभियोजन की शिकायत में दोषी बनाया गया था, उन्हें अभ्यर्थियों (जिनका चयन रेलवे में ग्रुप-डी के सब्स्टीट्यूट के रूप में किया गया था) के परिवारों से नाममात्र राशि के बदले भूखंड प्राप्त हुए थे. इसमें बोला गया है, ‘‘आरोप-पत्र में नामजद एक अन्य आरोपी हृदयानंद चौधरी, राबड़ी देवी की 'गौशाला' का पूर्व कर्मचारी है, जिसने एक अभ्यर्थी से संपत्ति हासिल की थी और बाद में उसे हेमा यादव को हस्तांतरित कर दिया था.’’
ईडी ने बोला कि कंपनियां ए के इन्फोसिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड और ए बी एक्सपोर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड 'मुखौटा' कंपनियां थीं, जिन्हें लालू प्रसाद के परिवार के सदस्यों के लिए अपराध की आय प्राप्त हुई थी. ईडी ने साथ ही यह भी बोला कि उक्त कंपनियों में व्यक्तियों द्वारा अचल संपत्तियां अर्जित की गई थीं. बाद में, ईडी ने दावा किया, नाममात्र राशि के बदले शेयर लालू प्रसाद के परिवार के सदस्यों को हस्तांतरित कर दिए गए. लालू प्रसाद और उनके परिवार के सदस्यों के लिए कात्याल इन कंपनियों का 'प्रबंधन' करता था.

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