यह राजद के चुनाव घोषणा पत्र में सम्मिलित है.
उसके जवाब में नीतीश कुमार ने क्या बोला था? 10 लाख नौकरियों के लिए पैसा कहां से लाओगे? बाबूजी जिस कमाई के लिए अंदर वहां से लाओगे! इसको कोई समझ नहीं है!"आरजेडी नेता ने बोला, "वही नीतीश कुमार जिन्होंने तेजस्वी के 10 लाख युवाओं को नौकरी देने की घोषणा पर बोला था कि इनको तनख़्वाह देने के लिए पैसा कहां से लाओगे! 9 अगस्त को तेजस्वी ने उप मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लिया और 15 अगस्त को उन्हीं नीतीश कुमार ने गांधी मैदान के मंच से घोषणा की कि 10 लाख युवाओं को महागठबंधन की हमारी सरकार नौकरी तो देगी ही, हम 10 लाख रोज़गार का सृजन भी करेंगे. नीतीश किसके एजेंडे की घोषणा कर रहे थे? सियासत के पुरानी पीढ़ी के नीतीश कुमार ने युवा तेजस्वी के एजेंडे को न सिर्फ़ क़ुबूल किया बल्कि उसको आगे बढ़ाया. तेजस्वी भविष्य हैं, नीतीश अतीत हैं. 15 अगस्त के अपने भाषण के माध्यम से सीएम नीतीश ने स्वयं इस पर मुहर लगाई."इसके साथ ही शिवानंद तिवारी ने बोला, "महागठबंधन के संपूर्ण कार्यकाल में तेजस्वी यादव ने जिस प्रकार का आचरण किया है इसको सम्पूर्ण देश ने देखा है आवश्यकता से ज़्यादा दब कर तेजस्वी रहे. ताकि नीतीश कुमार को शिकायत का तनिक भी मौक़ा नहीं मिले. यहां तक कि अख़बारों के पहले पन्ने पर मुख्यमंत्री के आदम क़द पिक्चर के साथ स्वास्थ्य विभाग का विज्ञापन छपता था. उसमें, तेजस्वी जो स्वास्थ्य विभाग के प्रभारी मंत्री भी हैं, उनकी छोटी पिक्चर भी नहीं रहती थी. लेकिन तेजस्वी ने इस सबको अनदेखा किया.उन्होंने आगे बोला, 'आज नीतीश बोल रहे हैं कि राजद के साथ कार्य करने में परेशानी हो रही थी. हम कार्य कर रहे थे. लेकिन वे लोग काम नहीं कर रहे थे. इसको निर्गुण प्रलाप के अलावा क्या बोला जाएगा? वाक़ई अगर ऐसी कोई शिकायत थी तो इस सिलसिले में नीतीश कुमार ने कभी लालू यादव से शिकायत की? महागठबंधन से निकलने और बीजेपी के साथ पुनः जाने का जो कारण नीतीश बता रहे हैं वह सरासर झूठ है. बीजेपी से अलग होने के बाद बिहार विधानसभा सभा में इन्होंने क्या घोषणा की थी मिट्टी में मिल जाऊंगा लेकिन बीजेपी के साथ नहीं जाऊंगा. ऐसे संकल्पों का कई नमूना गूगल में खोजने पर मिल जाएगा. बीजेपी का अदना से अदना कार्यकर्ता तक बोल चुका है कि नीतीश कुमार के लिए बीजेपी का दरवाज़ा बंद हो चुका है. इन सबके बावजूद नीतीश कुमार जैसा स्वाभिमानहीन व्यक्ति ही पुनः वहाँ जाने की बात सोच सकता है. स्वाभिमानहीन आदमी को क्या आदमी बोला जा सकता है."