मौजूदा दौर में देश की राजनीति की धड़कनें शेयर बाजार की सांसों से जुड़ गई है. इस बात का अंदाजा आप पिछले साल 5 राज्यों के नतीजों से साफ लगा सकते हैं. जिनमें से तीन बीजेपी ने एकतरफा जीत हासिल की थी.
जिसके बाद शेयर बाजार ने ऐसे कुलांचे मारने शुरू किए कि कुछ ही महीनों में भारत का शेयर 4.5 ट्रिलियन डॉलर के पार चला गया, जो अब 5 ट्रिलियन डॉलर के सपने को भी देखने से नहीं चूक रहा है. ये सपना भी जल्द ही पूरा हो सकता है.
मगर 5 ट्रिलियन डॉलर का सपना तो पहले किसी और के लिए देखा गया था. जी हां, 5 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी का सपना. जो मौजूदा समय में 4 ट्रिलियन डॉलर तक भी नहीं पहुंच सका है.
अनुमान ये लगाया जा रहा है कि अगले 4 साल में देश की इकोनॉमी 5 ट्रिलियन डॉलर के आंकड़े काे छू सकती है. इसके विपरीत भारत का शेयर बाजार दो महीने में 5 ट्रिलियन डाॅलर के जादुई नंबर को टच कर सकता है. इसका मतलब है कि अगले दो महीनाें में देश के शेयर बाजार की वैल्यू में करीब 300 बिलियन डॉलर का इजाफा देखने को मिल सकता है.
एक ट्रिलियन डॉलर का इजाफा
मौजूदा समय में देश के शेयर बाजार की वैल्यूएशन 4.71 ट्रिलियन डॉलर यानी 390 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा है. बीएसई के डाटा से पता चलता है कि 26 अक्टूबर बाद से स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्टिड 5,300 से अधिक कंपनियों का मार्केट कैप 3.73 ट्रिलियन डॉलर से बढ़कर 4.71 ट्रिलियन डॉलर हो गया है.
इसका मतलब है कि इस दौरान मार्केट कैप में एक ट्रिलियन डॉलर (1.02 ट्रिलियन डाॅलर) से थोड़ा अधिक का इजाफा देखने को मिला है.
किसका कितनी योेगदान?
शेयर बाजार की हैसियत बढाने में सबसे बड़ा कंट्रीब्यूशन 56-शेयर वाले पीएसयू इंडेक्स देखने को मिला है. 26 अक्टूबर से आज तक 1 ट्रिलियन डॉलर की वृद्धि में से 290 बिलियन डॉलर का कंट्रीब्यूशन इन्हीं सरकारी कंपनियों के शेयरों का रहा है.
दूसरा सबसे बड़ा कंट्रीब्यूशन सेंसेक्स के 30 शेयरों का देखने को मिला है. तब से अब तक 259 बिलियन डॉलर जोड़े हैं.
इसके बाद बीएसई मिडकैप 150 का कंट्रीब्यूशन 214 बिलियन डॉलर और बीएसई स्मॉलकैप 250 का 92 बिलियन डॉलर का कंट्रीब्यूशन रहा है. इन चारों ने मार्केट कैप में उछाल में 85 फीसदी का योगदान दिया.
26 अक्टूबर के बाद से अब तक पीएसयू इंडेक्स में करीब 60 फीसदी की तेजी देखने को मिल चुकी है.
वहीं दूसरी ओर बीएसई के प्रमुख सूचकांक सेंसेक्स में तब से अब तक करीब 15 फीसदी की बढोतरी देखने को मिल चुकी है.
इसी अवधि में मिडकैप इंडेक्स 27 फीसदी से ज्यादा का इजाफा देखने को मिला है और स्मॉल कैप इंडेक्स 26 फीसदी की बढ़ोतरी देखने को मिली है.
क्यों आ रही है पीएसयू में तेजी
आदित्य बिड़ला सन लाइफ एएमसी के एमडी और सीईओ ए. बालासुब्रमण्यम ने कहा, सरकारी कैपेक्स के कारण पीएसयू की रेटिंग फिर से हो रही है. सरकार ने मौजूदा वित्त वर्ष के लिए कैपेक्स में 10 लाख करोड़ रुपए खर्च करने के लिए कहा है. जबकि अगले वित्त वर्ष में यह खर्च 11.11 लाख करोड़ रुपए होने का अनुमान लगाया है. अंतरिम बजट में ऐलान भी हुआ है.
जानकारों का कहना है कि कैपिटल एक्सपेंडिचर में इजाफा होने की वजह से पीएसयू में तेजी देखने को मिल रही है. पीएसयू इंडेक्स ही शेयर बाजार को 5 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाएंगे.
इन कंपनियों का सबसे ज्यादा योगदान
सरकारी कंपनियों की बात करें तो एसबीआई, एनटीपीसी, कोल इंडिया, आईओसी और ओएनजीसी के शेयरों में जबरदस्त तेजी देखने को मिली है. जिन्होंने अक्टूबर के अंत से अब तक बीएसई पीएसयू इंडेकस के इजाफे में 37 फीसदी का कंट्रीब्यूशन दिया है.
इसी तरह, रिलायंस इंडस्ट्रीज, इंफोसिस, टीसीएस, एसबीआई और आईसीआईसीआई बैंक ने सेंसेक्स की तेजी में 54 फीसदी का योगदान दिया है. एसबीआई ने 16 फरवरी को 774.70 का 52 हफ्तों का हाई देखा था. जबकि रिलायंस ने एक दिन पहले यानी 15 फरवरी काे 2,968.4 का हाईएस्ट लेवल को छुआ था. जिसकी वजह से कंपनी का मार्केट कैप 20 लाख करोड़ रुपए को पार कर गया था.