सीएए से एक खास समाज खुद को उपेक्षित महसूस कर रहा है.
बीजेपी समाज में नफरत फैलाने का कार्य कर रही है.
एजाज अहमद ने बोला, "पिछले 5 वर्ष में केंद्र सरकार को सीएए की याद क्यों नहीं आई? लोक चुनाव से पहले केंद्र सरकार ने इसको इसलिए लागू किया ताकि नाकामियों से जनता का ध्यान भटका सके, लेकिन केंद्र का यह दांव उनको खुद उल्टा पड़ने वाला है. बीजेपी के किसी भी चुनावी एजेंडा में जनता आने वाली नहीं. महंगाई कम क्यों नहीं हुई? हर वर्ष दो करोड़ रोजगार का वादा पूरा क्यों नहीं हुआ? केंद्र सरकार को इन मुद्दों पर जवाब देना चाहिए."बता दें 2024 के लोकसभा चुनाव की तारीखों के एलान से ठीक पहले केंद्र सरकार ने नागरिकता संशोधन अधिनियम को देश भर में लागू कर दिया है. इस संबंध में केंद्र सरकार की तरफ से सोमवार (11 मार्च) को अधिसूचना जारी की गई. सीएए लागू किए जाने के बाद अब 31 दिसंबर 2014 तक पड़ोसी देश- बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से भारत आए गैर-मुस्लिम प्रवासी, हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई को भारतीय नागरिकता दी जाएगी.
सीएए को दिसंबर, 2019 में पारित किया गया था और बाद में इसे राष्ट्रपति की मंजूरी भी मिल गई थी. हालांकि, इसके विरुद्ध देश के कई हिस्सों में विरोध प्रदर्शन प्रारंभ हो गए थे. इसके बाद यह कानून लागू नहीं हो सका था.